भोपाल - नमामि देवी नर्मदे योजना में पेंडिंग 25 लाख रुपए के भुगतान मामले में जबलपुर में लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई विवादों में घिर गई है। लोकायुक्त पुलिस ने 29 सितंबर को जबलपुर में उद्यानिकी विभाग के संयुक्त संचालक (जेडी) आरबी राजोदिया को 1.25 लाख रु. की रिश्वत लेते घर पर रंगेहाथों पकड़ा था, लेकिन कमरे में मौजूद भोपाल के डिप्टी डायरेक्टर (डीडी) राजेंद्र राजोरिया को छोड़ दिया।
लोकायुक्त एसपी ने डीडी को छोड़ने पर तर्क दिया है कि वे तो संयोग से मौैजूद थे। यह कार्रवाई डीएसपी जेपी वर्मा के नेतृत्व में की गई थी। राजोदिया ने मजीठा नर्सरी संचालक दीपांकर अग्रवाल से नमामि देवी नर्मदे योजना में 25 लाख रुपए का भुगतान करने के एवज में रिश्वत मांगी थी।
लोकायुक्त पुलिस के दबिश देते ही राजोदिया नकदी फेंककर बाथरूम में छुप गया था। यह कार्रवाई राजोरिया की मौजूदगी में हुई। पुलिस ने राजोरिया से जबलपुर आने की वजह पूछी, तो वे कोई ठोस वजह नहीं बता पाए। उन्हें कार्रवाई में तीन से चार घंटे तक बैठाया गया। लोकायुक्त एसपी अनिल विश्वकर्मा के पहुंचने के बाद राजोरिया को छोड़ दिया गया।
सवाल : जेडी-डीडी की फोन पर बातचीत रिकॉर्ड में क्यों नहीं ली
- नमामि देवी नर्मदे के प्रदेश में संचालन के लिए नोडल अफसर राजोरिया हैं। वे आदान-प्रदान और भुगतान प्रक्रिया को देखते हैं।
- राजोदिया ने भोपाल से आए अपने ही विभाग के सीनियर अफसर(डीडी) की मौजूदगी में आखिर रिश्वत के पैसे लेने पर कैसे सहमति दे दी।
- लोकायुक्त जांच में नर्सरी संचालक, जेडी और डीडी के मोबाइल नंबरों पर आपसी बातचीत को रिकॉर्ड में क्यों नहीं लिया है।
- डिप्टी डायरेक्टर राजोरिया उसी दिन जबलपुर क्योंं गए थे, जबकि विभाग के हाईकोर्ट से जुड़े मामले में रविवार को कोई पेशी नहीं थी।
- सीहोर में पदस्थापना के दौरान राजोरिया को कलेक्टर ने 1.9 करोड़ के गबन में दोषी पाया है। लोकायुक्त ने इसे संज्ञान में क्यों नहीं लिया।
रिकाॅर्डिंग और डिमांड ही नहीं
कमरे में डीडी थे, लेकिन उनकी डिमांड नहीं थी। वे जेडी के घर संयोग से रुके थे। फरियादी पैसे देने काफी देर से बैठा था। हम कार्रवाई कैसे कर सकते। -अनिल विश्वकर्मा, लोकायुक्त एसपी
जवाब तैयार कराने गया था
हाईकोर्ट पेशी के लिए जबलपुर पहुंचा था। जेडी उसके आईओसी थे। इसलिए जवाब तैयार करवाना था। मंत्री और डायरेक्टर को घटना से अवगत करा दिया था।